नमस्कार ! आज मैं बताने जा रहा हूँ कि
रामनवमी क्यों मनाते हैं?
रामनवमी का त्योहार राम जी के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। यह त्योहार चैत्र मास के शुक्लपक्ष में नवमी के दिन पड़ता है इसलिए इसे
रामनवमी कहते हैं।
रामनवमी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, हिंदू लोग इस त्योहार को बहुत धूमधाम से मनाते हैं खासकर अयोध्या में ।
इस साल की रामनवमी 2 अप्रैल 2020 को है। इस दिन सरकारी छुट्टी रहती है।
बहुत समय पहले की बात भारत देश मे अयोध्या राज्य में एक राजा थे। जिनका नाम था राजा दशरथ उनकी तीन पत्नियां थीं कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा उनके कोई पुत्र या पुत्री नही थे जिससे वो काफी चिंतित थे। उन्होंने काफी उपाय किये लेकिन उनके कोई संतान नही हुए। उन्होंने पंडित लोगो को दिखाया तो पता चला कि उनके भाग्य में संतान सुख नही है।
एक बार की बात है वो शिकार करने जंगल मे गए हुए थे तभी उन्हें सरोवर के पास कुछ आवाज़ सुनाई दी उन्हें लगा कि कोई जानवर पानी पीने आया है और उ होने शब्दभेदी बाण चला दिया जो कि जाकर उसको लगा जहां से आवाज़ आ रही थी जो कि कोई जानवर नही था बल्कि श्रवण कुमार थे जो कि अपने अंधे माता पिता के लिए पानी लाने गए थे जिनको वो तीर्थ यात्रा पर लेकर आये थे। दशरथ को जब पता चला कि उनका बाण किसी इंसान को लगा है तो वो बड़े दुखी हुए वो श्रवण कुमार के पास गए जो कि अपनी आखिरी सांसे गईं रहे थे उनसे माफी मांगी तो श्रवण कुमार ने कहा कि अब जो हो गया वो वापस तो आएगा नही बस आप मेरा इतना काम कर दीजिये मेरे माता पिता प्यासे हैं उन्हें ये पानी ले जाकर पिला दीजिये और मेरे बारे में भी बता दीजियेगा इतना कहते कहते वो मर गए और दशरथ पानी लेकर उनके माता पिता के पास गए और श्रवण कुमार के मौत के बारे में बताया जिससे श्रवण कुमार के माता पिता काफी दुखी हुए और उसी दुख में मर गए और मरते मरते दशरथ को श्राप दिया कि जिस तरह मैं पुत्र वियोग में मार रहा हूँ उसी तरह तुम भी पुत्र वियोग में मरोगे इससे दशरथजी के भाग्य में पुत्र योग हो गया।
कुछ समय बाद पंडितजी ने उन्हें यज्ञ कराने को कहा जिससे उन्हें पुत्र की प्राप्ति होगी। उन्होंने यज्ञ कराया और चार पुत्रो की प्राप्ति हुई राम,भरत,लक्ष्मण और शत्रुघ्न । सबसे बड़े पुत्र राम भगवान विष्णु के अवतार थे जो कि राक्षस रावण को मारने के लिए आये थे। उनका जन्म जिस दिन हुआ था वही रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। यह दिन हिन्दू पत्रा से चैत्र मास के शुक्लपक्ष में नवमी के दिन पड़ता है इसलिए इसका नाम राम नवमी है।
रामनवमी के पर्व मुख्य रूप से अयोध्या में मनाया जाता है क्योंकि ये रामजी की जन्मभूमि है। इस दिन अयोध्या में बहुत बड़ा मेला लगता है और लोग दूर दूर से यहां रामजी की पूजा करने आते हैं।
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