महावीर जयंती भगवान
महावीर के जन्म दिवस पर उनके जन्मोत्सव के रूप में पूरे भारत मे मनाई जाती है। यह भारत के अलावां उन देशों में भी मनाई जाती है। जहां जैन लोग रहते हैं, यह त्यौहार
जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है।
महावीर जयंती का एक और नाम है
महावीर जन्म कल्याणक।
महावीर जयंती हिन्दू कैलेंडर से चैत्र मास के शुक्लपक्ष में तेरहवें दिन मनाई जाती है।
महावीर जयंती अंग्रेजी कैलेंडर से मार्च या अप्रैल माह में आती है।इस साल की
महावीर जयंती 6 अप्रैल 2020 को है। यह
महावीर जी का 2618वां जन्म दिवस है।
महावीर जयंती में जैन धर्म के सभी लोग श्वेतांबर और दिगाम्बर मिलकर इस त्यौहार को बड़े ही धूम धाम से मनाते हैं।
महावीर जयंती के दिन पूरे भारतवर्ष में सरकारी अवकाश रहता है।
कैसे मानते हैं महावीर जयंती?
महावीर जयंती जैन धर्म का महत्वपूर्ण त्यौहार होने के साथ साथ हिन्दुओ द्वारा भी मनाया जाता है। इसकी तैयारियां त्यौहार के कई दिनों पहले से शुरू हो जाती हैं। इस दिन जैन धर्म को मानने वाले या जो लोग
महावीर जी को मानते हैं, वो सभी लोग जैन मंदिर जाते हैं। इस दिन जैन धर्म के सभी मंदिरो को फूलों और झंडो से बहुत ही अच्छे तरीके से सजाया जाता है।
महावीर जयंती के दिन का कार्यक्रम
महावीर जी के अभिषेक से होता है। जिसमे
महावीर जी को पानी से स्नान कराया जाता है। उसके बाद पूजा होती है और फिर शोभायात्रा निकाली जाती है। इस दिन लोग
महावीर जी की पूजा करने मंदिर जाते हैं, और वहां काफी समय व्यतीत करते हैं। शोभायात्रा खत्म होने के बाद बड़े बड़े ज्ञानी लोग जैन धर्म के बारे में ज्ञान देते हैं और लोगो एक अच्छा जीवन जीने के मार्ग को दिखाते हैं।इस दिन जैन धर्म के लोग गरीबो में फल, अनाज, कपड़े आदि का वितरण करते हैं।
क्यों मनाते हैं महावीर जयंती?
महावीर जयंती महावीर जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
महावीर जी जैन धर्म के 24वें और आखिरी तीर्थंकर थे।
महावीरजी का जन्म लगभग 600 ई●सा● पूर्व बिहार में चैत्र मास के शुक्लपक्ष में 13वें दिन हुआ था। इनका जन्म एक राजा के परिवार में हुआ था।इनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशला था।
महावीरजी का बचपन का नाम
वर्द्धमान था। इनके भी का नाम नंदिवर्धन और बहन सुदर्शना थीं। इनकी पत्नी का नाम यशोदा था और पुत्री प्रियदर्शना थीं।
माता पिता की मृत्यु के बाद 30 वर्ष की आयु में इन्होंने वैराग्य ले लिया। 12 साल की कठोर तपस्या के बाद जम्बक में शाल्व वृक्ष के नीचे इन्हें सच्चा ज्ञान प्राप्त हुआ। उसके बाद इनका नाम
केवलीन हो गया। और वे इसी नाम से प्रसिद्ध हुए। बड़े बड़े राजा महाराजा उनका अनुशरण करने लगे उनमे प्रमुख थे बिम्बिसार।
72 वर्ष की उम्र में इन्होंने देह का त्याग किया। इन्होंने पांच सिद्धान्त दिए जिसे पंचशील सिद्धान्त के नाम से जाने जाते हैं। भारत इन्ही पंचशील सिद्धान्तों को अपने संविधान में रखकर और पालन करके आज पूरे विश्व मे एक अच्छा देश बनकर उभरा है। महावीरजी का कहना था "जियो और जीने दो।"
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